72 साल के 'दादा जी' पीएचडी के लिए कर रहे हैं एमए की पढ़ाई
अगर कुछ करने का जूनून हो ओर इरादे नेक और बुलंद हो तो कुछ भी असंभव नहीं है। ऐसा ही करिश्मा सिरसा के एक बुजुर्ग ने करके दिखाया है। बुढ़ापे में जब लोग अपना समय इधर-उधर अपने हम उम्र के साथियों के बीच में बैठकर व पोते पोतियों की उगलिंया थामकर खेल कूदकर गुजार देते है। वहीं इस उम्र में सिरसा में रहने वाले बस्ती राम जो इतनी उम्र होने के बाबजूद भी सीडीएलयू में पब्लिक एडमिनिस्ट्रेसन डिपार्टमेंट की क्लास में आश्चर्यजनक बात देखने को मिलती है, नाती-पोतो की उम्र छात्र-छात्राओं के बीच बैठकर 72 साल के स्टूडेंट बस्ती राम पढ़ाई करते है।
लास्ट इयर के छात्र बस्ती राम को बस एक ही धुन सवार हुई पड़ी है पीएचडी करनी है, इसके लिए मास्टर डिग्री में जरूरी 65 प्रतिशत अंक हासिल करना उनके लिए जनून बना हुआ है। कभी-कभी मन करता है तो बस्तीराम बच्चों के साथ मन भी बहला लेते हैं।
बस्ती राम सिरसा के शिव चौक के पास रहते है। बस्तीराम ने सन 1998 में जिला समाज कल्याण अधिकारी के पद से रिटायर्डमेंट ले ली, अभी तक राजनीती शास्त्र, समाज शास्त्र और मास कॉम्युनिकेशन से एमए कर चुके हैं। मास कॉम्युनिकेशन में 64 प्रतिशत अंक आए सिर्फ एक प्रतिशत से चूके तो लोक प्रशासन में प्रवेश ले लिया। उन्हें यकीन है इस बार 65 प्रतिशत अंक हासिल कर लेंगे। यही नही बस्ती राम रोज 6-7 घंटे पढ़ाई भी करते हैं। हर रोज 10 किलोमीटर साईकिल यूनिवर्सिटी से आना-जाना करते हैं।944 में जन्मे बस्तीराम ने 1986 में समाज कल्याण विभाग से पहले कई नौकरियां की। लेकिन अपनी पढ़ाई भी जारी रखी। अब रेगुलर कोर्स कर रहे हैं, उनकी अपनी औलाद नही है। दो भाइयो की असमय मौत हो गई तो उनके परिवारों को संभाला। उनके बच्चों को पढ़ाया-लिखाया। उन्हें हर काबिल भी बनाया। बस्तीराम ने युवाओं को संदेश देते हुए कहा की पढ़ाई अनमोल है और इसकी कोई उम्र नहीं होती। आज के युवा नशे से दूर होकर व् अपना समय व्यर्थ गुजरने की बजाए पढ़ाई करे व अपने माता-पिता और देश का नाम रोशन करें।बस्ती राम की पुत्रवधु रेशमा ने बताया की जब से वह शादी करके इस घर में आई तो देखा की उनके फादर इन लॉ की इतनी उम्र होने बजाए आज भी पढ़ाई कर रहे हैं तो बहुत ख़ुशी और गर्व हुआ। रेशमा ने बताया की उन्होंने भी एमए की है और उनके फादर इन लॉ ने उनकी काफी मदद की थी उन्हें नोट्स बनाकर भी देते थे। आज उनका यही सपना है। यही जनून है कि एमए में अच्छे अंक लेकर पीएचडी में में एडमिशन लेना है। वहीं, बस्तीराम के साथ पढ़ने वाले छात्र-छात्राओं का कहना है कि अंकल जी हर रोज पढ़ने यहां आते हैं। अंकल जी बहुत् साहसी हैं, उनमें बहुत हिम्मत है। जो इस उम्र में भी हर रोज पढ़ने इतनी दूर से आते है जो की इस उम्र में तो लोग अपने पोते-पोतियों के साथ खेलते हैं।
सीडीएलयू में बस्तीराम को पढ़ाने वाले प्रोफेसर का कहना है की बस्तीराम हर रोज क्लास लगाने आते है बच्चों को इनसे शिक्षा लेनी चाहिए जो की पढ़ाई में इतनी रूचि नही लेते स्टूडेंट आजकल इंटरनेट में अधिक ध्यान लगाने लगे है पढ़ाई में उनका ध्यान कम होता है तो बस्तीराम को देखकर इन्हें सिख लेनी चाहिए की रूटीन में क्लास लगानी चाहिए। उन्होंने बताया की पढ़ाई व कुछ सिखने की कोई उम्र नही होती अगर इंसान मन में कुछ करने की सोचले तो सफलता भी उनके कदम चूमती है। vishalindiantvchainal.blogspot.com
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