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दोस्त…तुम्हारे लिए..
अकेली नहीं मैं धूप में ….
तेरी दुआओं का साया साथ चलता है
तंज़ आफ़ताब क्या जाने ….
मीलों दूर मेरा एक हमदर्द रहा करता है
तेरी दुआओं का साया साथ चलता है
तंज़ आफ़ताब क्या जाने ….
मीलों दूर मेरा एक हमदर्द रहा करता है
ताउम्र बेशर्त शिद्दत से निभाते रहे …
रिश्ता तुम एक दोस्ती का
हैरान होती हूँ कोई दोस्त….
लड़कपन का यूँ फरिश्ता भी हुआ करता है
रिश्ता तुम एक दोस्ती का
हैरान होती हूँ कोई दोस्त….
लड़कपन का यूँ फरिश्ता भी हुआ करता है
बेख़बर तो मैं ही रही…
इल्म ही न हुआ तेरी इबादत का
एक वक़्त का जज़ीरा गुजर गया…
और एक मुसाफिर अब भी सफर करता है
इल्म ही न हुआ तेरी इबादत का
एक वक़्त का जज़ीरा गुजर गया…
और एक मुसाफिर अब भी सफर करता है
सोचूँ तो छिड़ जाता है
सिलसिला कितनी यादों का….
तू साथ न होकर भी साथ सा रहता है
सिलसिला कितनी यादों का….
तू साथ न होकर भी साथ सा रहता है
जाने क्या जादू है बातों में तेरी
कुछ पल गुफ़्तगू जो कर लूं तो
ज़हन में नशीला सा ज़ायका देर तक रहता है…..
कुछ पल गुफ़्तगू जो कर लूं तो
ज़हन में नशीला सा ज़ायका देर तक रहता है…..
कोई वादा भी नहीं है बीच हमारे
कोई कसम भी तो नहीं है
फकत एक रिश्ता है रूहानी सा
दोनों के दिलों में पला करता है
कोई कसम भी तो नहीं है
फकत एक रिश्ता है रूहानी सा
दोनों के दिलों में पला करता है
दुनिया बने दुश्मन अब कोई खौफ नहीं
मीलों दूर से कोई सलामती की दुआ करता है
मेरा चिराग रौशन रहेगा ख़ुदा…
अब ज़मीं पर मेरा भी एक हमदर्द रहा करता है…!!
मीलों दूर से कोई सलामती की दुआ करता है
मेरा चिराग रौशन रहेगा ख़ुदा…
अब ज़मीं पर मेरा भी एक हमदर्द रहा करता है…!!
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