परिवर्तन
आज पड़ी जब कर्णों में
उन गहरी गज़लों की आवाज़,
दिल का परिंदा फिर पीछे मुड़ा
एक पल को ठहर गयी परवाज़।।
उन गहरी गज़लों की आवाज़,
दिल का परिंदा फिर पीछे मुड़ा
एक पल को ठहर गयी परवाज़।।
है उड़ रहा वो कितना ऊपर
एक वक्त पीछे बीत चुका,
छोड़ तन्हाई खालीपन को
है दिल किसी का जीत चुका।
उसके दिल के सन्नाटों में
बजते हैं अब सुर और साज़,
आज पड़ी जब…………!!
एक वक्त पीछे बीत चुका,
छोड़ तन्हाई खालीपन को
है दिल किसी का जीत चुका।
उसके दिल के सन्नाटों में
बजते हैं अब सुर और साज़,
आज पड़ी जब…………!!
याद आया वो सफर पुराना
हर मोड़ जीवन को प्रश्न सुनाना,
और सूखे पड़े खालीपन को
पाक गज़लों की लय में भिगाना।
वो कारण अकारण बस रहना वीरान
वो नीरस पड़ा जीने का अंदाज,
आज पड़ी जब…………..!!
हर मोड़ जीवन को प्रश्न सुनाना,
और सूखे पड़े खालीपन को
पाक गज़लों की लय में भिगाना।
वो कारण अकारण बस रहना वीरान
वो नीरस पड़ा जीने का अंदाज,
आज पड़ी जब…………..!!
उन गज़लों को जब भी किया महसूस
कभी दिल भर आया कभी भावुक हुआ,
कभी गम में कहीं जो रोईं ये आंखें
गज़लें जैसे ह्रदय पे चाबुक हुआ।
मेरे जीवन के धर्म में रहा हमेशा
ऐसी भेदतीं गज़लों का रिवाज़,
आज पड़ी जब……………!!
कभी दिल भर आया कभी भावुक हुआ,
कभी गम में कहीं जो रोईं ये आंखें
गज़लें जैसे ह्रदय पे चाबुक हुआ।
मेरे जीवन के धर्म में रहा हमेशा
ऐसी भेदतीं गज़लों का रिवाज़,
आज पड़ी जब……………!!
फिर आई तू प्रेयसी बहार बनकर
जैसे शांत ‘बेटू’ का आहार बनकर,
भरके घड़ियों के वीरानेपन को
तू आई जीवन में प्यार बनकर।
और न जाने कब सब बदल गया
कब मिल गया नया आगाज़,
आज पड़ी जब……………!!
जैसे शांत ‘बेटू’ का आहार बनकर,
भरके घड़ियों के वीरानेपन को
तू आई जीवन में प्यार बनकर।
और न जाने कब सब बदल गया
कब मिल गया नया आगाज़,
आज पड़ी जब……………!!
जिस बिस्तर पर आती थी मुझको
एक नींद तो बस वीरान सी,
आज प्रेम संग प्रेयसी सोता मैं
और खुलती नींद तेरे मुस्कान सी।
है चारों पहर बस ख्याल तेरा
तू सबसे खुबसूरत है मेरा राज़,
आज पड़ी जब……………!!
एक नींद तो बस वीरान सी,
आज प्रेम संग प्रेयसी सोता मैं
और खुलती नींद तेरे मुस्कान सी।
है चारों पहर बस ख्याल तेरा
तू सबसे खुबसूरत है मेरा राज़,
आज पड़ी जब……………!!
है आभार तेरा खुदा से ज्यादा
तेरी खुशियाँ ही हैं बस मेरा इरादा,
मेरी कविता की लय जो थी बिखरी
आज है तेरा दिल जीतने को अमादा।
ये प्रेम है दिल और खुशियाँ धड़कनें
मोहब्बत ही है अब हमारा सरताज़,
आज पड़ी जब……………!!
तेरी खुशियाँ ही हैं बस मेरा इरादा,
मेरी कविता की लय जो थी बिखरी
आज है तेरा दिल जीतने को अमादा।
ये प्रेम है दिल और खुशियाँ धड़कनें
मोहब्बत ही है अब हमारा सरताज़,
आज पड़ी जब……………!!
है कस्में मेरी तेरे प्यार की
है वादा तुझसे मेरे साथ का,
है दुआएँ मेरी तेरे मुस्कान की
है जीवन मेरा तेरे इज़हार का।
करने में तारीफें और जताने में प्यार
क्यूँ न होती इस कलम को लिहाज
आज पड़ी जब……………!!
है वादा तुझसे मेरे साथ का,
है दुआएँ मेरी तेरे मुस्कान की
है जीवन मेरा तेरे इज़हार का।
करने में तारीफें और जताने में प्यार
क्यूँ न होती इस कलम को लिहाज
आज पड़ी जब……………!!
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