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हम तुम
(हम तुम)
रंग कितने ज़िन्दगी में भर गए
होते तुम अगर साँसों में बस गए
होते मंज़िलें भी फिर मिल गयी
होतीं तुम अगर हमसफ़र बन गए
होते एक बार पलटकर देख तो लेते
हम तुम्हारे क़दमो में मर गए होते
खुशबुओं की तरह सीने से लग जाते
गर तुम्हारे दुपट्टे में उलझ गए होते
इश्क़ में लज़्ज़तें फिर और बढ़ जातीं
हमको ख़तों के जवाब मिल गए होते
राह तकते तकते गुज़र गए दिन रात
तुम एक बार गली से गुज़र गए होते
जान हथेली पर लिए हम घूमते रहे
कुछ लम्हों के लिए तुम मिल गए होते
हम भी शौक से उम्र पूरी कर लेते
एक तुम्हारी आदत से बच गए होते
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